Thursday, 2 May 2019

क्या आज भी कोई अजेय बन सकता है?


जब आपको कोई हरा नहीं सकेगा?



क्या कोई व्यक्ति के रूप में अजेय बन सकता है इस धरती पर. और अगर बन सकता है तो कैसे? यहाँ अजेय का मतलब है कि किसी भी हथियार से उसे जीता नहीं जा सके. यानि किसी भी तरह उसे जीता ही नहीं जा सके. आज हर देश तरह तरह के हथियार बना कर अपने आप को सुरक्षित करने में लगा रहता है. जो हथियार नहीं बना सकते वो उन्हें दुसरे देशो से खरीद कर खुद को सुरक्षित समझते है. आज हर देश और हर व्यति बारूद के ढेर पर बैठा है और के एकर प्रकार से कोई भी सुरक्षित नहीं है. और अजेय तो कोई है ही नहीं.

लेकिन जो मैं बताना चाह रहा हूँ वो हथियारों से अजेय होने की बात नहीं है. हा अजेय होने के लिए बेशक हथियारों की तो जरुरत पड़ती ही होगी. लेकिन मैं अजेय होने के एक ऐसे तरीके की बात कर रहा हूँ जो हिन्दू शाश्त्रो में देवता और असुर प्रयोग करते थे. ऐसा नहीं है कि उनकी मृत्यु नहीं हुई. मृत्यु हुई; क्यूंकि मृत्यु अटल है. मृत्यु भी एक घटना है जिसको होना ही है परन्तु मृत्य अंत नहीं है इसलिए मृत्यु से डरने को आवश्यकता नहीं है.

तो मैं बात कर रहा था कि वो कौन से सीक्रेट थे जिनकी मदद से देवताओं और असुरों ने कुछ ऐसे लोग पैदा किये थे जो अजेय थे.

भारतीय शाश्त्रो में देवताओं और असुरों की कहानियों में जीवन के पीछे की सच्चाइयों को छोटी छोटी कहानियों के माध्यम से समझाया गया है. हालाकि इनमे बहुत सारी कहानियां सिंबॉलिक है और आम जन को समझाने के लिए कही गयी है.

देवता देवलोक में रहते थे और असुर पाताललोक में रहा करते थे. इन दोनों के बीच युद्ध चलते रहते थे और जैसे आज तरह तरह के हथियार डेवेलोप किये जा रहे है उस समय भी तरह तरह के प्रयोग मानव पर होते थे यानि मानव और उसके पीछे चल रही शक्ति को समझा जाता था और उसके अनुसार मानव देह में ही शक्तियां पैदा की जाती थी. हथियारों का भी प्रयोग होता था परन्तु वो सेकेंडरी बात थी. प्राइमरी बात ऐसे मानव पैदा करने की होती थी जिन्हें जीता ही नहीं जा सकता था.

यह बात पराशक्ति से सम्बंधित है. क्यूंकि हम केवल खुद को मनुष्य शरीर ही समझते है हम भूल जाते है कि इस शरीर के साथ साथ हमारा एक मन भी है. फिर हम यह भी भूल जाते है इस शरीर के पीछे एक और शक्ति भी है जिसे हम आत्मा कहते है. हम अगले जन्म को सवारने में तो लगे रहते है परन्तु जीवन के पीछे चल रही साइंस को भूल जाते है. देवता और असुर शरीर के साथ साथ मन और आत्मा की शक्तियों का प्रयोग करके बड़े बड़े किया युद्ध करते थे.

ऐसा ही एक युद्ध चल्र रहा था देवताओं के राजा इंद्र और असुरों के राजा शम्बर. शम्बर पराशक्ति का बहुत बड़ा जानकर था. उसने पराशक्ति के विज्ञानं को समझा और अपनी शक्ति से 3 दैत्यों को उत्पन्न किया. हम जब पैदा होते है तो शरीर तो हमारा होता ही है साथ में मन रूपी सॉफ्टवेयर भी होता है जिसमे हमारे जीने के ढंग, हमारे काम करने के ढंग, हमारे समझने के ढंग, हमारे बात करने के ढंग; सब कुछ भरा होता है.

पराशक्ति से अधिक बलवान न कोई हुआ है और न ही कोई हो सकता था. असुरों के राजा शम्बर इस बात को समझता था कि हम सब उस पराशक्ति का ही एक अंश है और इस तरह से हम सब के सब शक्तिशाली है चाहे कोई देवता हो वो भी शक्तिशाली है और चाहे कोई असुर हो वो भी उतना जी शक्तिशाली है. परन्तु फिर भी हम में से कोई भी उस शक्ति जितना शक्तिशाली नहीं है. जब हम है ही उस शक्ति का अंश तो फिर हम उतने शक्तिशाली क्यूँ नहीं है जितनी वो शक्ति है. ऐसी क्या बात है जो हमें उस असीम शक्ति की शक्तियों से अलग करती है.

सोचते सोचते असुर राजा एक सही निष्कर्ष पर पहुच ही गया कि हमारा अहम् हमें उस शक्ति की शक्तियों से अलग करता है. अपने अहम् के कारण ही हम खुद को उस शक्ति से अलग समझ कर जीने लगते है तो उसी समय हम पराशक्ति से जुदा हो जाते है. तो अगर किसी तकनीक से जो असुर मैंने पैदा किये है उनमे से अहम् निकल दिया जाये तो वो अपने आप ही पराशक्ति की शक्तियों से जुड़े रहेगे और उन्हें कोई नहीं हरा पायेगा. और राजा शम्बर ऐसा करने के लिए सक्षम हो गया. और एक तकनीक की मदद से जो उसने असुर देवताओं से लड़ने के लिए अपने बल से पैदा किये थे उनके मन से वो अहम की भावना निकलने में कामयाब हो गया.
3 दैत्य जिनमे नाम थे दम, व्याल और कट. इन दिनों में अहम् भाव नहीं था और न ही किसी प्रकार की कामना, वासना इनके मनों में प्रकट होती थी. बस जिस कार्य के लिए उनकी उत्पति हुई थी केवल उन्ही कार्य कर करने के लिए उनकी निष्काम प्रवृति थी. जो वो कार्य करेगे उस से क्या लाभ या हानि होगी इस तरह की बाते उनके मनों में लेशमात्र भी नहीं थी.
इन तीनो को जब देवताओं से लड़ने के लिए भेजा गया तो देवताओं के खेमे के कोहराम मच गया. इनके सामने युद्ध में कोई भी नहीं टिक पा रहा था चाहे कोई कितना भी सूरमाँ  ही क्यों न हो.

अब देवता मैदान छोड़ कर भागने लगे. जब देवता भागते थे तो सीधे ब्रह्मा जी के पास जाते थे अपनी समस्या को लेकर. इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया. देवताओं में ब्रह्मा जी को अपनी समस्या के बारे में अवगत कराया तो ब्रह्मा जी ने ध्यान के जाकर विचार किया तो उन्हें सब बात समझ में आई. उन्होंने बताया कि जो 3 दैत्य आप लोगो से युद्ध करके आप लोगो हरा रहे है उनके अंदर अहंभाव नहीं है और इसलिए वो पराशक्ति की शक्ति के साथ ही युद्ध कर रहे है इसलिए उन्हें तब तक नहीं हराया जा सकता जब तक वो अहम रहित है. वो निष्कामता से युद्ध कर रहे है और उन्हें निष्काम भाव के साथ युद्ध करने के लिए ही पैदा किया गया है.  आप लोगो के पास अगर कोई विकल्प है तो वो यह है कि आप उनमे किसी तरह से अहम भाव पैदा कर दे तो आप बड़ी ही आसानी से उन्हें हरा पायेगे. क्यूंकि अहम् भाव पैदा होते ही उनमे कामना पैदा होगी और कामना पैदा होते ही मृत्यु भाव अपने आप ही पैदा हो जायेगा.

देवताओं में इस तरह से हालात पैदा किये कि उन तीन असुरों में अहम् भाव पैदा हो जाये परन्तु वो ऐसा नहीं कर सके. क्यूंकि उन तीन दैत्यों को बनाया ही इस तरह से गया था कि किसी भी तरीके से उनमे अहम् पैदा किया ही नहीं जा सकता था. देवता अपने कार्य में सफल नहीं हो पा रहे थे तब उन्होंने भगवान् विष्णु की मदद से उन तीन दत्यों को समाप्त किया और उन तीन दैत्य को भगवान विष्णु ने अपने धाम में जगह दी.

हमारा विषय था कि क्या अजेय बना जा सकता है. उसका जवाब मैंने आपको दे दिया कि अजेय भी बना जा सकता है. उसके लिए हमें अपने अहम को हटाना होगा. जैसे हम अहम् को हटायेगे तो उसी समय डर गायब हो जायेगा. दुनियां का सबसे बड़ा डर मृत्यु का डर है जो अहम् के गायब होते ही पलक झपटे गायब हो जायेगा. फिर व्यक्ति पराशक्ति से अपने आप ही जुड़ जायेगा और उसे इस दुनियां की कोई भी ताक़त हरा नहीं पायेगी.

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