श्रीमद्भगवद्गीता ऊपरी तौर पर युद्ध की एक कहानी लगती है. लेकिन वास्तव में यह हमारे मन की कहानी है. हर किसी के मन की कहानी. चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म का हो किसी भी सम्प्रदाए का हो भगवद्गीता हर मन का सटीक बैठती है. धर्म से परे का ग्रन्थ है भगवद्गीता.
यह एक नियम है. एक शाश्वत नियम. भगवन श्री कृष्ण अर्जुन को ऐसा करने के लिए कहते है. ताकि अर्जुन मन रूपी युद्ध को जीत सके और अपने अस्ल्ली स्वरुप को पहचान ले.
भगवान् श्री कृष्ण अर्जुन को समझा रहे है. अर्जुन ही हम सबका मन है. हम सबके मनों का प्रितिनिधित्व है अर्जुन.
सफलता का एक खास राज़. यह बड़ा ही असाधारण है. इसमें आपको दिन में कुछ समय दुसरो के लिए निकालना होता है.
इसमें बिना कुछ सोचे केवल योग्य व्यक्ति की मदद करनी होती है. श्री कृष्ण कहते है कि ऐसा करने से न केवल आपका यह जीवन सुधरेगा बल्कि परलोक भी सुधरेगा.
दिन में कम से कम एक व्यक्ति की या कम से कम एक मदद प्रकृति की अवश्य करनी है. मदद करने के बहुत सारे तरीके है. मदद केवल धन से नहीं बल्कि किसी के चेहरे पर मुस्कान लाकर भी की जा सकती है. किसी को अच्छी सलाह देकर भी की जा सकती है.
प्रकृति हम सब की माता है. प्रकृति की मदद करने से हर किसी की मदद होने लगती है. श्री कृष्ण बताते है कि जो इस प्रकृति की मदद करेगा प्रकृति उसकी मदद करना शुरू कर देगी.
प्रकृति हम सब की माता है. प्रकृति की मदद करने से हर किसी की मदद होने लगती है. श्री कृष्ण बताते है कि जो इस प्रकृति की मदद करेगा प्रकृति उसकी मदद करना शुरू कर देगी.
यह एक नियम है. एक शाश्वत नियम. भगवन श्री कृष्ण अर्जुन को ऐसा करने के लिए कहते है. ताकि अर्जुन मन रूपी युद्ध को जीत सके और अपने अस्ल्ली स्वरुप को पहचान ले.
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