तत्व शुद्धि साधना
योग का मतलब
होता है जुड़ना. उस से जुड़ना जिसने हमें पैदा किया. जिसके कारण हमारा होना है. हमारे
और उसके बीच में अगर कोई दीवार है तो वो हमारा मन है. योग में जितनी भी विधियाँ इस
धरती पर उपलब्ध है सारी की सारी मन पर ही काम करती है. क्यूंकि भौतिक जीवन ने हमें
केवल तन पर काम करना सिखाया है.
हमारे तन को लेकर
बहुत सारी पद्धतियाँ पैदा हुई. बहुत सारे प्रोडक्ट्स बने. यानि पश्चिम ने सारा का
सारा कार्य हमारे तन को लेकर किया है. तरह तरह की Technologies, Medical Science, Social Science,
Telecommunication, Engineering, Technology, बहुत कुछ. बहुत सारी किताबे, बहुत सारे विधालय, यूनिवर्सिटी, सब के सब भौतिक
जीवन और तन को लेकर ही काम कर रहे है.
परन्तु पूर्व ने जितना भी कार्य किया वो मन पर किया. यानि इस विश्व धरा को जो
कुछ भी दिया वो मन पर हमारा रिसर्च वर्क था और आज भी हम योग के रूप में वो सब दे
रहे है.
ऐसी ही एक विधि है तत्व शुद्धि. कमाल के रिजल्ट्स आते है इसके. पांच तत्वों से
हमारा शरीर बना है. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश. दो तरह की यात्रा हम जीवन
में कर सकते है. एक बाहर की ओर जो हम कर
ही रहे है या जो पश्चिम ने हमें सिखाई और दूसरी अंदर की ओर जो हमारी अपनी सम्पदा
है हमारा अपना रिसर्च वर्क है.
बाहर की यात्रा करते करते जो यह पांच तत्व है इनमें अशुद्धि आने शुरू हो जाती
है. पांच तत्वों की अशुद्धियाँ हमारे भौतिक जीवन में तो रुकावट बनती ही है. साथ
में हमारे अध्यात्मिक यात्रा में विध्न पैदा करती है और हमारे मन को खासतौर पर
दूषित करती है.
तत्व शुद्धि
साधना में हम सबसे पहले यह समझते है कि हमारे शरीर के कौन से भाग में कौनसा तत्व
स्थित है. फिर हम एक एक तत्व पर ध्यान करते है यानि कि शरीर में पांच भागो पर
ध्यान करते है. सारा का सारा प्रोसेस योग निद्रा में माध्यम से किया जाता है.
फिर हम तत्वों
को बदलना शुरू करते है. पृथ्वी को जल में, जल को अग्नि में, अग्नि को वायु में और
वायु को आकाश में. इस प्रकार से हम खुद को एक तरह से विलीन कर देते है. फिर हम
पहुचते है अपने अहम तक और फिर खुद से ही जुड़ जाते है.
बहुत ही अलग तरह
का अनुभव हो रहा होता है उस वक़्त जब न हम शरीर होते है और न ही मन, न ही बुद्धि और
न कुछ और ही. यह एक ऐसा अनुभव होता है जो यदि एक बार घटित हो जाये तो जीवन को देखने
का नज़रियाँ ही बदल जाता है.
फिर हम खुद से
खुद को बनाना शुरू करते है. हम एक तरह से “कुछ नहीं” से स्वयं का सृजन करते है. फिर
अहम् से बुद्धि, बुद्धि से मन, मन से पांच तत्व – आकाश तत्व से सभी तत्वों का सृजन
करते है.
जब यह साधना
समाप्त होती है तो शरीर इतना हल्का महसूस हो रहा होता है कि जैसे weight है ही
नहीं. बहुत देर तक आनंद छाया रहता है. क्यूंकि सब कुछ शुद्ध हो चूका होता है. शरीर,
सारे तत्व, मन, बुद्धि, चित और हमारी आत्मा.
मैंने पहले भी बताया
है कि इसके रिजल्ट्स बड़े ही शानदार होते है. कई बार तो बीमारियाँ छूमन्तर हो जाती
है. हर व्यक्ति को कुछ न कुछ मिलता ही है इस साधना से. इसे ग्रुप में ही किया जाता
है.
मैं देश में अलग
अलग जगहों पर जा जा कर इस तरह की साधनाए करवाता रहता हूँ और मुझे बहुत ही आनंद
मिलता है जब किसी साधक या साधिका को इसके रिजल्ट्स मिलते है.
Tatva shudhi ke madhyam se is prakar ka anubhav sambhav hai
ReplyDeleteVo bhi yog nidra ke madhyam se
Kya iska vedio nahi ban sakta??
Tatva shuddhi ke baare mein padhkar bahut achha laga