Sunday, 6 May 2018

ध्यान में आने वाली समस्याएं - Problems in Meditation




सबसे पहले तो मैं आपको यह स्पष्ट करना चाहुगा कि ध्यान एक घटना है जोकि घटित होती है. ध्यान आता है; उसके पास जो उसे बुलाता है. हम कहते तो है कि मैं ध्यान कर रहा हूँ परन्तु हम उस समय वास्तव  में ध्यान के लिए तैयारी कर रहे होते है.

शुरू शुरू में जब हम ध्यान के संसार में आगे बढ़ते है तो कई सारी प्रोब्लेम्स भी आती है और कई बार इन समस्याओं से डर कर साधक ध्यान का रास्ता छोड़ भी देता है. क्यूंकि सही गुरु न होने की वजह से, सही मार्गदर्शक न होने की वजह से ध्यान की यात्रा में आगे बढना कुछ मुश्किल होता है.

सबसे पहली समस्या हमें मालूम ही नहीं होता कि करना क्यां है. उसका सबसे अच्चा तरीका तो है नाड़ी तत्व विवेचन. नाड़ी तत्व विवेचन से हम यह जान सकते है कि मेरे लिए कौनसा ध्यान बना है या मेरे लिए कौनसा ध्यान उपयुक्त है. परन्तु यह Paid सर्विस है और कई बार साधक शुरुआत में खुद पर इस तरह की इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहता.

तो उसके लिए केवल और केवल आज्ञा चक्र पर ध्यान करना उपयुक्त होता है. आज्ञा चक्र हमारी दोनों Eyebrows के बीच की जो जगह है उसे कहते है. लेकिन यहाँ मैं आपको एक बात साफ़ करना चाहता हूँ की ध्यान आपको वो व्यक्ति करवा सकता है जो खुद ध्यान करता हो. इसलिए योग्य व्यक्ति से ही ध्यान सीखे.

अब जब आप ध्यान करने लगते है तो मन बहुत भागता है. जैसे ही ध्यान करने बैठे बहुत सारे विचार आने लगे मन में. हर विचार उठने के लिए मजबूर करने लगा और ऐसा लगने लगता है कि अभी यह काम नहीं किया तो पाता नहीं क्या मुसीबत आ जाएगी.

मन खुद की कंसन्ट्रेट होने से रोकता है यह मन का एक गुण है आप इस बात को समझ लीजिये. यानि जब भी ध्यान करने बैठेगे तो मन भागेगा ही क्यूंकि उसकी यह प्रवृति है. कितने भी विचार आ जाये फिर भी बैठना है. कम से कम 15 मिनट्स से शुरुआत करनी है. इन 15 मिनटों में बहुत सारे विचार उठेगे और आपको ध्यान से उठाने का भरसक प्रयास करेगे.

अब कुछ समय बाद आप देखेगे कि आप अब बैठना सीख गए है अब मन ज्यादा तंग नहीं करता है. मन आपको बैठने तो देता है परन्तु अब मन आपके साथ दूसरी तरह का खेल खेलेगा. मन में विचलन पैदा होगा. ऐसा लगेगा कि आप खुश नहीं है और बड़ा अजीब सा महसूस कर रहे है. आपको लगेगा की ध्यान की वजह से यह सब प्रोब्लेम्स आ रही है इसलिए आप तुरंत ध्यान करना छोड़ देंगे. परन्तु ऐसा नहीं करना है. क्यूंकि थोड़े ही समय में मन विचलित होना बंद हो जायेगा.

आपको अब थोड़ा अच्छा लगने लगेगा. परन्तु अब मन में आएगा कि छोडो आज ध्यान नहीं करते आज मूड नहीं है ध्यान करने का. वैसे भी एक दिन में क्यां फर्क पड़ने वाला है. बलां बलां बलां.. परन्तु ऐसा नहीं करना है. रेगुलारिटी नहीं तोडनी है. आपका मन जो जो विघ्न पैदा करेगा वो मैं सब आपको बता रहा हूँ. इसलिए घबराना नहीं है. ध्यान जारी रखना है.

अब अगली बात कि – अब डर लगने लगेगा. अपने आप ही डर लगने लग सकता है. यहाँ भी घबराना बिलकुल नहीं है. डर लगेगा, आपका मन ही डर पैदा करेगा परन्तु घबराना बिलकुल नहीं है. यहाँ एक काम करना है कि जब भी डर लगे तो अपने धर्म के अनुसार ईश्वर को प्रार्थना करनी है. डर गायब होने लगेगा.

ध्यान करने से कई बार गुस्सा भी बढ़ सकता है परन्तु इसे भी पार करना है क्यूंकि दूर कही आनंद, अपार आनन्द आपकी बाट देख रहा है. इस बात को समझना है. इसलिए हर विघ्न को पार करते जाना है.

नींद में, भूख में कमी आ सकती है. ऐया कुछ समय बाद अपने आप ही ठीक हो जायेगा. क्यूंकि ध्यान यात्रा है असत्य से सत्य की ओर. अज्ञान से प्रकश की ओर, मृत्यु से अमृत की ओर.   



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