Monday, 19 February 2018

मन - एक अनसुलझा रहस्य


अनसुलझा रहस्य - हमारा मन




चितविक्षेप (Scattered Mind) एक प्रॉब्लम है मन की जिसे इंग्लिश में Drifting of Mind जिसका मतलब है कि मन कभी भी एक विषय पर टिकता नहीं है. कहते है कि मन से ज्यादा स्पीड किसी की नहीं हो सकती. मन drift करता रहता है एक सोच से दूसरी सोच पर. और ऐसा भी नहीं होता कि हर समय यह drifting एक जैसी हो. यह drifting भी मन की कंडीशनिंग पर depend पर करती है.

उदहारण के तौर पर – मान लीजिए कि हम किसी मार्किट में जा रहे है और देखते है कि एक लकड़ी सी भरी हुई ठेली हमारे सामने आ जाती है और हम रुक जाते है अब जैसे ही रुकते है तो हमारा ध्यान लकड़ियों पर जाता है कि यह लकड़ियाँ है – अब  drifting of Mind शुरू हो जाती है – लकड़ियाँ जलती है – इनसे खाना बनता है – मुझे खाने में गाजर का हलवा पसंद है – पिछली बार जो गाजर का हलवा खाया था वो ज्यादा अच्छा नहीं था – गाजरे खेतो में उगती है – खेत तो यहाँ से बहुत दूर है – खेतों में बहुत ही कम लोग रहते है – दूर दूर तक कोई नहीं होता – पर शहरो में ऐसा नहीं  होता – बाजारों में तो बिलकुल भी नहीं – फिर बाज़ार में खुद के पास पहुच जाते है – यह हुई एक तरह की drifting of Mind. यह जब हुआ तो मन की कंडीशन उमंग से भरी थी.

वही सिचुएशन है - कि हम किसी मार्किट में जा रहे है और देखते है कि एक लकड़ी सी भरी हुई ठेली हमारे सामने आ जाती है और हम रुक जाते है अब जैसे ही रुकते है तो हमारा ध्यान लकड़ियों पर जाता है कि यह लकड़ियाँ है – अब  drifting of Mind शुरू हो जाती है – लकड़ियाँ जलती है – वो चिता भी लकड़ियों से जल रही थी – शमशान कि लकड़ियों और दूसरी लकड़ियों में भी काफी फर्क रहता होगा – पर लकड़ियाँ तो लकड़ियाँ ही होती है – सूखे पेड़ ही तो होते है – आजकल पेड़ बचे ही कहा है – लोग ही बढ़ते जा रहे है – चारो तरफ बाज़ार ही बाज़ार तो है – और यहाँ फिर हम main point पर आ जाते है – कि हम बाज़ार में खड़े है - यह हुई एक अन्य तरह की drifting of Mind. यह जब हुआ तो मन की कंडीशन उमंग से नहीं भरी थी.

यह drifting of Mind ही हमें जीवन में कुछ भी सही ढंग से करने से रोकती है. क्यूंकि हमारा बहुत सा समय तो mind की यह drifting ही खा जाती है. हम जो कर रहे होते है उसपर कभी सही तरीके से समय ही नहीं लगा पाते यह drifting of Mind समय लगाने ही नहीं देती. फिसला देती है, भटका देती है. अगर हम इस drifting of Mind को समझ ले और इस पर काम करना शरू कर दे तो जीवन इतना आसान बन जायेगा की आप सोच ही नहीं सकते.

आप जानते है कि एक अच्छे Cook और बुरे Cook में क्यां फर्क होगा? समय दोनों ही लगा रहे है. पर एक के हाथो में जादू है और दूसरा बस केवल एक Cook मात्र ही है. याद रखिये कि समय दोनों ही लगा रहे है अच्छा कुक भी और कम अच्छा कुक भी. पर एक का मन उस वक़्त Drift नहीं करता जब वो Cooking कर रहा होता है और दुसरे का मन हर वक़्त Drift करता रहता है. बस इसी Point को समझना है. मन कब भटक जाता है बस इतना समझ लिया तो समझो काम बन गया. जीवन आसान होने का काम बन गया. जीवन आसान हो जायेगा, आप अच्छे से सोच पायेगे. आपको सोचने के लिए समय मिल जायेगा. क्यूंकि ऐसा नहीं है  कि हमारे मन में कोई खराबी है, सच बात तो यह है कि हमें drifting of Mind ने, भटकते मन हमें सोचने ही नहीं दिया कभी खुद के बारे में भी. 

हम में से बहुत सारे लोग drifting of Mind का शिकार है. आज आप अपने Present Circumstances से यदि खुश नहीं है तो इसकी वजह एक ही है और वो है आपके Mind कि Drifting. ऐसा है ही इसलिए क्यूंकि आपके मन ने आपको कभी सोचने ही नहीं दिया. जब भी कभी सोचने कि कौशिश कि तो मन ने उसी वक़्त भटका दिया और फिर हम ही भूल गए कि सोचना क्या था. मन का तो कार्य ही है भटकना, उसका गुण है यह, पर इसे समझ कर इसे ठीक भी किया जा सकता है. यक़ीनन ठीक किया जा सकता है. लेकिन पहले मालूम हो तभी, क्यूंकि मन इतनी खूबसूरती से Drift करवाता है कि हमें पता ही नहीं चल पाता कि हम अपने मकसद से कब भटक गए. और फिर भटकते ही चले गए. और कई बार तो जीवनभर मन के इस गुण का पता नहीं चल पाता. मन भाग रहा है हरपल भाग रहा है, हर दम भाग रहा है हमारे द्वारा ही संचित किये गए विचारों के अन्दर ही. ऐसे में हमारा ही मन हमें हमारे ही बारे में सोचने का समय भी नहीं देता तो इसका मतलब यह निकलता है कि हम अपने अनुसार नहीं अपने मन के अनुसार जीवन जीते चले जा रहे है. ऐसे में मन कई तरह की विकृतियों को साथ ले लेता है क्यूंकि उसपर अगर कण्ट्रोल नहीं होगा तो वो कही भी जा सकता है. कण्ट्रोल वास्तव में आपके पास में है. पहले समझना होगा. बस समझना ही होगा, बस इतने से ही काम चल जायेगा.

वेदांत बार बार हमें एक सलाह देता है. बार बार एक ही सलाह कि बुद्धि की बात मानो अपने मन की नहीं, जब भी बात करो बुद्धि से करो. इसका मतलब यह है कि जब भी सोचो तो भी बुद्धि की मदद से ही सोचो और कोई भी कार्य करो बुद्धि की मदद से ही करो. बार बार बुद्धि का ही प्रयोग करो. बार बार बुद्धि का प्रयोग करने से बड़ी ही आसानी से काम बन जायेगा. बहुत ही प्रैक्टिकल बात है यह जो कि आसानी से कि भी जा सकती है. बस यह ही समझ ले कि बिना बुद्धि से कोई भी काम करना ही नहीं है, बस इतना करने से ही आपके मन की Drfiting रुकनी शुरू हो जाएगी. और आप जीवन को समझने लगेगे, भटकते मन को रोकना बहुत ही जरुरी है नहीं तो अपने ही जीवन को कभी भी नहीं समझ पायेगे, कभी भी नहीं.

जीवन को समझने के लिए मन को समझना जरुरी है. याद रखिये कि यदि आप मन को नहीं समझेगे तो मन आपको कभी भी खुद को नहीं समझने देगा.


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