Tuesday, 17 April 2018

संध्या साधना बदल सकती है आपकी किस्मत


संध्या साधना बदल सकती है आपकी किस्मत


हिन्दू धर्म में संध्यावंदन का विशेष महत्व है जिसका वर्णन हमारे पुराणों में, हमारे वदो में किया गया है. खासतौर पर शिवस्वरोदय नामक शाश्त्र में जिस शाश्त्र की मदद से मैं आपको संध्या साधना का खास मतलब बताने वाला हूँ.

संध्यावंदन में दिन में तीन बार पाठ किया जाता है। एक सूर्योदय के दौरान (जब रात्रि से दिन निकलता है), अगला दोपहर के दौरान (जब आरोही सूर्य से अवरोही सूर्य में संक्रमण होता है) और सूर्यास्त के दौरान (जब दिन के बाद रात आती है).

प्रातःकाल सध्या को प्रातःसंध्या या प्रभात और दोपहर की वंदना को मध्याह्निक सध्यां और सायंकाल में सायंसंध्या. तो इस तरह दिन में तीन बार संध्या की जाती है.

अब बात यह है कि संध्या में ऐसी क्या खास बात है कि इस समय की गयी साधना सबसे ज्यादा फलित होती है. और  इस वक़्त की गयी प्रार्थना आपकी किस्मत बदल सकती है.

मैंने आपको शिवस्वरोदय शाश्त्र के बारे में बताया है जिसका सम्बन्ध हर पल चलने वाले और बदलने वाले स्वर से है. भारतीय दर्शन क अनुसार हमारे शरीर में कोई 72000 नाड़ियां है और उन 72000 में से तीन नाड़ियां सबसे इम्पोर्टेन्ट है और उन तीन में से सबसे इम्पोर्टेन्ट जो है वो है सुष्मना नाड़ी.

ऐसे ही हमारा मानव शरीर पांच तत्वों से मिल कर बना है. यह है पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश. अध्यात्मिक दृष्टि से जो सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है वो है आकाश तत्व. और नाड़ी और तत्वों का जो सबसे अनूठा संगम है वो है सुष्मना नाड़ी हो और आकाश तत्व हो.

अब मज़े की बात यह है कि जब संध्या का समय होता है तो सबसे ज्यादा Chances होते है सुष्मना नाड़ी के साथ आकाश तत्व होने के. Automatically ऐसा होता है संध्या के समय. और यह वो कॉम्बिनेशन है जब हम ईश्वर के बहुत करीब पहुच जाते है. परन्तु ऐसा कुछ पलो के लिए ही होता है. यदि हम इन पलो को पकड़ना सीख ले या सजग होकर उन पलों  में कोई भी ईच्छा करे तो वो ईच्छा अवश्य पूरी होती है.

परन्तु उसके लिए सजग रहना होगा, यह पल आते है, हर रोज़ आते है और किसी भी संध्या में आ सकते है, सुबह, दोपहर या शाम कभी भी. आपको सजग रहना होगा उन पलों  के लिए.

ऐसा कहा जाता है कि यह एस पल होते है जिस समय हम ईश्वर के बेहद नजदीक पहुच जाते है और इस वक़्त कुछ भी माँगा जाये वो मिलता है. भौतिक हो या अध्यात्मिक कुछ भी अगर मांगेगे वो मिलेगा ही.

अब बात यह है कि हर वक़्त तो हम सजग होते नहीं है क्यूंकि हमारा मन होने नहीं देता है. परन्तु क काम हम कर सकते है वो यह की हम तीनो समय संध्या करे. यह वो समय है जब रात सुबह में बदल रही होती है और जब दोपहर को सूर्य दिशा बदल रहा होता है और जब दिन रात मी बदल रही होती है.

इन तीन संध्या कालो में प्रार्थना करने का नियम बना लीजिये. और जो आप अपने जीवन से चाहते है भौतिक हो या अध्यात्मिक वो संध्याकाळ की प्रार्थना में कहिये तो आप अपनी किस्मत बदल सकते है.

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