Thursday, 2 May 2019

एक अमूल्य शक्ति जो आपके अंदर है




मैं एक ऐसी शक्ति की बात कर रहा हूँ जो आप सबके अंदर है. लेकिन हम उस शक्ति को या तो समझ नहीं पाते है या फिर उसका प्रयोग करना नहीं सीख पाते है. जबकि यह शक्ति हम सब के अंदर है और हम सब इसका प्रयोग कर सकते है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए अगर कोई शक्ति हमारे काम आती है तो वो है एकाग्रता.

हम में से अधिकांश के साथ एक प्रॉब्लम है कि जब हम कोई भी काम कर रहे होते है तो हमारा मन कही ओर होता है और हमारी बॉडी कही ओर. इसलिए हम जीवन में तरक्की नहीं कर पाते और अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाते. वैसे तो इच्छाओ को संजोना और उन्हें पालना योग में अवैध है. परन्तु जो हमारे संस्कार हमारे चित में पड़े है उन संस्कारो को तो हमें या तो निरस्त करना होगा या फिर स्वयं में ज्ञान पैदा करके जलना होगा.

मैं एकाग्रता नाम की शक्ति की बात कर रहा हूँ जो हम सबको मिली हुई है. परन्तु अनभिज्ञता के कारण न तो इस शक्ति को समझ पाते है और न ही इसका प्रयोग कर पाते है.

चीन में 80 साल का एक बुद्धा व्यक्ति पुराने ज़माने में अपने सेनापति के लिए उनकी तलवार बनाने का काम करता था. उसने सेनापति की तलवार बनाते हुए कभी भी रत्ती भर भी गलती नहीं की थी. वो इतनी बेहतरीन तलवार बनाता था कि जो उस बुद्धे व्यक्ति की तलवार को देख भर लेता है वो उसकी करागरी से हैरान हो जाता था. उसकी बनायीं हुई तलवारे युद्ध में भी कमाल का काम करती थी.

सेनापति खुद जो उसकी करागरी से हैरान था उसने एक दिन उस बुद्धे व्यक्ति से एक बात पूछी कि तुम जो तलवारे बनाते हो वैसी मैंने अपने पुरे जीवन में कभी भी देखी नहीं है. मैं एक बात जानना चाहता हूँ क्या यह तलवार बनाने की कला तुमने किसी से सीखी है या यह कोई खास तरीका है तलवार बनाने का.

उस बूढ़े व्यक्ति ने जवाब दिया कि न तो यह कला है और न ही कोई खास तरीका. आज से 20 साल पहले जब हमने तलवार बनाना सीखना शुरू किया था तो एक ही बात सीखी थी कि अपना काम पूरी एकाग्रता से करना है. मैं जब काम कर रहा होता हूँ तो मेरे हाथ, मेरे पैर मेरे शरीर का हर अंग मेरे काम पर ही होता है. बस यही एक तकनीक है जिसका मैं प्रयोग करता हूँ.

बात बड़े कमाल की है कि अपने टारगेट के लिए मन का पूर्णतया प्रयोग करना. जब तक मन पर कण्ट्रोल नहीं होगा तब तक शरीर  का सही प्रयोग नहीं हो पायेगा. एकाग्रता का मतलब ही यही है कि पूर्णता “Wholeness” से काम करना सब कुछ एक ही दिशा में हो. दिशा व्ही जो आपके जीवन का लक्ष्य हो.

जीवन के हर लम्हे में संतुलन की आवश्यकता है. न तो Over-activeness और न ही Under-activeness चलेगी. संतुलन का मतलब अपने आप को हर उस काम में झोंक देना जो आप कर रहे है. तब मज़ा आने लगेगा. हर काम में मज़ा आने लगेगा.

एक बात और कि जब मन एकाग्र होता है तो उसी समय रिलैक्स भी हो जाता है. यह बड़ी ही खास बात है. एकाग्रता भी और समता भी. काम भी होगा और थकावट भी नहीं होगी. यही खास बात थी उनमे जिन्होंने दुनियां को बदला कि वो कभी थकते नहीं थे. वो अपने काम से कभी भी नहीं थकते थे बल्कि उन्हें आराम भी अपने काम में ही मिलता था. वो अपने काम के बिना थक जाते थे. उन्हें आराम के लिए काम चाहिए होता था.

हमारी स्थिति उलट है हमें काम के लिए आराम चाहिए होता है. पर उन्हें आराम के लिए काम चाहिए होता था. सोचिये कि वो लोग जो एकाग्रता के साथ काम करते थे कितने खुश नसीब होते होंगे. हम थक जाते है मन से. थोडा सा काम करते ही थक जाते है, बोर हो जाते है. आराम के लिए पता नहीं क्या क्या करते है. परन्तु वो लोग आराम के लिए काम करते थे.

इसके लिए हमें अध्यात्मिक तौर पर उन्नत होना होगा. हमें रोजाना कुछ समय अपने मन को भी देना होगा. जीवन को देखने के अपने ढंग को सूक्ष्म करना होगा. एकाग्रता का कुछ न कुछ अंश हम सबके पास होता ही है. यह एक तरह से सर्च लाइट की तरह है. गहन अँधेरे में सर्च लाइट जहाँ जहाँ पड़ती है वो जगह बिलकुल साफ़ दिखाई देने लगती है. सर्च लाइट जितनी पावरफुल होगी उतना ही दृश्य जीवन्त दिखाएगी.

ऐसे ही हमारी कंसंट्रेशन पॉवर है. जैसे जैसे हम इस क्षेत्र में उन्नत होते चले जायेगे जीवन की सूक्ष्म से सूक्ष्म बाते भी हमें समझ आने लगेगी. जब कोई भी विषय या वस्तु सूक्ष्मता से समझ में आती है तभी हम उस विषय या वस्तु को एन्जॉय कर पाते है. ऐसे ही हमारी बुद्धि हो जाएगी. जो जो पहले समझ नहीं आता था वो समझ आने लगेगा. यह केवल होगा एकाग्रता को बढ़ाने से. हमें इसके लिए अपने मन को शुद्ध करना होगा.

नियमित रूप से थोड़ा थोड़ा ध्यान करने से बात बनने लगती है. एकाग्रता आने लगती है. एकाग्रता जैसे आती है बहुत कुछ दे कर जाती है. सबसे पहले मानसिक आराम और फिर शक्तिशाली मन. फिर आगे का काम हमारा शक्तिशाली मन करता है.

3 comments:

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