आज मैं आपसे अपने blog के थीम से हट के
कुछ बात कर रहा हूँ. क्यूंकि मेरा मेरे Viewers
मेरे Subscribers
के साथ एक ऐसा रिश्ता बन
गया है कि मैं उनकी यानि आप सब की भावनाओं के महसूस करने लगा हूँ. इसलिए मैंने यह लेख लिखना जरुरी समझा और मैं आपसे
रूबरू हो रहा हूँ. यह जो भी बाते है वो मैंने अनुभव की है और उन्हें समझा है.
सबसे पहली बात - मैं हर वक़्त खुश रहना चाहता था, मैं यानि आप और आप यानि
मैं, पर मैं हमेशा खुश रह नहीं पाता था. बड़ी कौशिश करता मैं खुश रहने की, अच्छे
कपडे पहनना, खुद का पूरा ख्याल रखना, अपने लिए अच्छी अच्छी वस्तुएं लेकर आना. पर
इनमे से कुछ भी मुझे खुश नहीं कर पाता था. फिर मैंने एक बात सीखी; अपने अनुभव से
ही सीखी और एक बात को Discover किया कि जीवन वही मुझे देता है जो मैं उसे देता
हूँ. मुझे पता लगा कि यदि मैं अपने चेहरे पर मुस्कान चाहता हूँ तो मुझे दूसरों के
चेहरों पर मुस्कान लानी होगी, यदि मैं ख़ुशी चाहता हूँ तो मुझे दूसरों के मनों में
ख़ुशी लानी होगी. इस बात का मैंने अपने
जीवन में प्रयोग किया है और बदले में बहुत कुछ पाया है. आज मैं आपसे, अपने Viewers से, अपने Subscribers से दिल से रूबरू होता हूँ, आपकी बातों का
जवाब देता हूँ आपसे फ़ोन पर बात करके आपकी समस्याओ को दूर करने की कौशिश करता हूँ
तो यकीन मानिये की बदले में आप मुझे बहुत कुछ दे जाते है जिसका आप लोगो को शायद
पता ही नहीं चल पाता. यह मेरा आपको गाइड करना और आपका मुझसे गाइडेंस लेना, केवल
आपको ही तसल्ली नहीं देता मुझे भी देता है. जब जब आप खुश होते है यह यूनिवर्स मुझे
भी उतनी ही ख़ुशी देता है जितने खुश आप हुए है.
तो यह एक नियम है कि यदि आप जीवन में ख़ुशी चाहते है तो आप बस दूसरों को खुश
करना शुरू कर दीजिये. बस बाकि कार्य यह Universe अपने आप ही कर देगा.
आप यह तय कर ले कि इस हफ्ते में आपको 2 चेहरों पर ख़ुशी लेकर आनी है. बड़ा ही
छोटा सा टारगेट है यह. पर बड़ी ही आसानी से पूरा किया जा सकता है और इसके बहुत ही
अच्छे रिजल्ट्स आते है . जैसे की किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति के साथ थोडा सा समय
बिताना, किसी की सच्ची तारीफ करना, जैसे कि किसी पुराने दोस्त को अचानक मिलने चले
जाना, किसी को उसकी खूबियों के बारे में बताना जो उसे न पता हो और बहुत कुछ है
करने के लिए आप करना शुरू करेंगे तो अवसर अपने आप ही मिलने लगेगे.
दूसरी बात - मैं अब जो चाह रहा हूँ वो पा भी रहा हूँ. जी हाँ यह बिलकुल
सच्ची बात है. आपने शायद इस बात पर कई पुस्तकें पढ़ी होगी, The Secret, जो चाहो सो
पाओ, जीत आपकी, और भी बहुत कुछ. पर मैंने जो discover किया वो कुछ अलग ही है. मेरे
अन्दर बहुत सारी इच्छाएं है कुछ मेरी अपनी है और कुछ मेरे मन की. मैंने पहले बहुत
कौशिश कि मेरी यह सब इच्छाए पूरी हो, उन्हें पूरा करने के लिए बड़ी मेहनत भी की,
जिससे कुछ शायद पूरी हुई भी होगी परन्तु जब मैंने ध्यान को अपने जीवन का अंग बनाया
तो यकीन मानिये मेरी इच्छाए अपने आप ही पूरी होने लगी, अजीब इतेफ़ाक होता और मेरी
कोई न कोई इच्छा पूरी हो जाती, वो इच्छाए भी पूरी होने लगी जो मैं शायद इच्छा करके
भूल भी गया था.
दूसरा नियम यह हुआ कि जीवन में कुछ भी कीजिये ध्यान जरुर कीजिये.
तीसरी बात - मेरे जीवन में बहुत कुछ आया, बहुत सी वस्तुएं, बहुत सारे
रिश्ते, बहुत सारे लोग, मुझे लगाव था उनसे, बहुत ही लगाव, लगाव एक ऐसी शक्तिशाली
शक्ति है जो हमसे हमारा समय ले लेती है और बदले में पहले सांसारिक सुख देती है और
इसका End हमेशा दुःख से ही होता है. धीरे धीरे समय रहते मैं इस बात को समझने लगा
कि जीवन में हर वस्तु की एक समय सीमा है, हर रिश्ते की भी एक समय सीमा है, हर
व्यक्ति विशेष की भी एक समय सीमा है. इसलिए यदि मैं किसी तरीके से उनसे लगाव को
छोड़ दूँ तो मेरा समय भी मेरे पास रहेगा और दुखी और सुखी होने से भी बच जाऊगा.
मैंने यह भी देखा की अध्यात्मिक धरातल पर बने रिश्तो में कुछ जान रहती है. मेरी इसी सोच ने ही मुझे अध्यात्म के मार्ग पर लेकर गयी. और मुझे पता
चला की मुझे सुख की नहीं आनंद की खोज करनी थी.
तीसरा नियम यह हुआ कि - जीवन में कुछ भी शाश्वत नहीं है. इसलिए सुख की नहीं आनंद की खोज कीजिये. क्यूंकि सुख दुःख के बाद ही आता है.