Monday, 25 December 2017

क्यां हमारी आत्मा डूब रही है?






मैं अपनी बात वेदांत से शुरू करुगा जिसमे यह बताया गया है कि इंसान केवल शरीर नहीं है, उसमे एक मन भी है और एक आत्मा भी है. शरीर और मन तो हम सब अच्छी तरह से समझते है. पर आत्मा शरीर और मन के अनुभव से परे है. हम आत्मा को मॉडर्न भाषा में कांशसनेस भी कह सकते है. वेदांत के हिसाब से आत्मा का मन पर प्रभाव रहता है और मन का शरीर पर और शरीर का प्रभाव हमारे चारो ओर के वातावरण पर पड़ता है. 

आत्मा                मन                शरीर

अब यदि शरीर से हम कुछ भी गलत करते है तो उसका असर मन पर पड़ेगा और मन में तरह तरह के गलत विचार पैदा होंगे जो बिमारियों के रूप में हमारे शरीर पर प्रभाव डालेगे और हमारी आत्मा की यात्रा में भी रूकावट डालेगे. और यदि मन से हम कुछ गलत करते है यानि गलत विचारो को बार बार मन में लगे है तो उसका प्रभाव भी शरीर और आत्मा दोनों पर पड़ेगा. 

आमतौर पर हम मन को ही जिंदगी मान लेते है और मन में जो विचार पैदा हो रहे होते है उन्हें सच मान लेते है. जबकि मन तो है की विचारो से बना हुआ वहा तो विचार उठने ही है, अच्छे भी उठने है और बुरे भी. यह हम पर है की हम किस तरह के विचारो को अपनाते है. क्यूंकि इसका सीधा असर हमारी आत्मा पर पड़ता है. जब यह सब लम्बे समय तक चलता रहता है तो हमारी आत्मा की शक्ति जिससे हम सब कुछ कर रहे है वो सुस्त पड़ने लगती है और हमें अपना जीवन नीरस लगने लगता है और इस बीच तरह तरह की बिमारियों के भी हम शिकार हो जाते है. 

तो जब जीवन में नीरसता आने लगे और जीवन जीने में तरह तरह की रूकावटे आने लगे तो समझ लेना कि आत्मा पर विचारो से उठी हुई धूल जमने लगी है और वक़्त आ गया है कि आत्मा को फिर से Nourish किया जाये.

तो फिर करना क्या है?


  • सबसे पहले संगती अच्छे लोगो के साथ करे..

  • अच्छी किताबे पढनी शुरू करे..

  • अपने धर्मानुसार धार्मिक स्थल पर जाना शुरू करें

  • रोजाना कुछ समय अकेले बिताये...

  • प्रकृति के साथ ज्यादा से ज्यादा रूबरू हो...

  • ध्यान करे, रोजाना करे,,,

  • दुसरो को मदद करना शुरू कर दे. 






बस इतना करने से ही आत्मा से धूल उतरनी शुरू हो जाएगी. और जीवन में रोमांच आना शुरू हो जायेगा.

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