कही आप गलत तरीके से तो ध्यान नहीं कर रहे.
नाडी तत्व विवेचन
कही आप गलत तरीके से तो ध्यान नहीं कर रहे. अगर ऐसा हुआ तो ध्यान से फायदे की
बजाये घाटा भी हो सकता है. और कितने भी साल लगे रहे ध्यान में रिजल्ट्स नहीं मिलेंगे.
शाश्त्रो में 72000 से भी ज्यादा नाड़ियां बताई गयी है. इन नाड़ियों में मुख्य तीन नाड़ियां होती
है. पिंगला इड़ा और सुष्म्ना. पांच तत्व है पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश.
जब व्यक्ति का जन्म होता है तो वो अपनी पहली साँस किसी न किसी नाड़ी में लेता है वो इड़ा, पिंगला और सुष्म्ना में से
कोई भी हो सकती है और नाड़ी के साथ एक तत्व भी मौजूद रहता है. वो पांचो तत्वों में
से कोई भी एक हो सकता है.
हर वक़्त वातावरण में भी इन सूक्ष्म तत्वों की मोजुदगी रहती है और प्रकृति में
भी यह तीन नाड़ी विद्यमान रहती है. तो साइंस ऑफ़ एस्ट्रोलॉजी के हिसाब से हर व्यक्ति
के जन्म के समय की गणना की जा सकती है कि कोई व्यक्ति जब पैदा हुआ और इस दुनियां
में उसने जो पहली साँस ली वो कौनसी नोस्त्रिल से ली और किस तत्व में ली.
यह कमाल का विज्ञानं है. और यह एक ऐसा विज्ञानं है जो हमें हमारे बारे में हर चीज
बताता है. हम जीवन में कौनसा कार्य करेंगे
और कौनसा कार्य करना हमारे लिए सही रहेगा. अध्यात्मिक यात्रा में सफल रहेगे या
नहीं. जीवन में सफल रहेंगे या नहीं. यह सब कुछ.
उसके बाद इस गणना में व्यक्ति के व्यक्तित्व में तत्व विवेचन की जाती है कि
कौनसा तत्व बढ़ा हुआ है और कौनसा घटा हुआ. जिस के आधार पर हम यह तय करते है कि हमें
कौनसा ध्यान करना चाहिए. किस चक्र पर काम करना चाहिए और किस पर नहीं. हर बात यह नाड़ी
तत्व विवेचन हमें बताता है.
कई बार क्या होता है कि हम ध्यान करते है और सब कुछ उल्टा होना शुरू हो जाता
है. क्रोध बढ़ जाता है, डर बढ़ जाता है, काम बनने की बजाये बिगड़ने लगते है. उसका
मतलब यह होता है हम जो ध्यान की विधि अपनाये हुए है वो ध्यान की विधि हमारे लिए
नहीं है.
जैसे की मान लीजिये कि किसी व्यक्ति का अग्नि तत्व जन्म से ही अधिक है वो यदि मणिपुर चक्र पर ध्यान करता है तो उसमे
शांति आने की बजाये क्रोध बढ़ने लगेगा पेट सम्बन्धी रोग रहने लगेगे.
या फिर पृथ्वी तत्व बढ़ा हुआ है और वो मूलाधार पर ज्यादा ध्यान करता है तो जोड़ो
के दर्द सम्बंधित रोग होने लगेगे. ध्यान के शांति आने की बजाये सांसारिक सुख अपनी ओर
खिचेगे.
या फिर जल तत्व ज्यादा बढ़ा हुआ या फिर घटा हुआ है तो काम, मोह बढ़ जायेगा या
फिर बहुत घट जायेगा और किसी भी काम में मन नहीं लगेगा. ऐसे में व्यक्ति बहुत सारे काम बदलेगा. और किसी भी काम में सक्सेस नहीं
होगा.
वायु तत्व अगर बढ़ जाता है या घट जाता है तो ध्यान के विघ्न डालेगा और बनते हुए
काम को उड़ा डालेगा. कुछ भी समझ नहीं आने देगा. मन हमेशा भ्रमित रहेगा.
इस तरह से तत्वों का और नाड़ी का अगर सही तालमेल होगा तो आप आगे बढ़ पायेगे
भौतिक दृष्टि से भी और सांसारिक दृष्टि से भी.
इसके लिए नाडी तत्व विवेचन करवाना पड़ता है. नाडी तत्व विवेचन Yoga My Life के द्वारा वेदान्त के ज्ञान से
Discover किया हुआ एक प्रोसेस है, तरीका है. यह इतने सटीक रिजल्ट्स देता है कि
रिजल्ट्स मिलने की सम्भावना 90% से ज्यादा रहती है.
इसलिए अगर आप सही तरीके से अध्यात्म में बढना चाहते है तो यह एक तरीके का
Diagnostic Test है इस जरुर से करवाना चाहिए ताकि आप सही ध्यान करके सही दिशा में
आगे बढ़ सके.
Acharya Harish
Diagnostic test kaise hoti hai
ReplyDeleteMai bhi karwana chahta hu..
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