आज मैं आपको एक अद्भुत ध्यान विधि के बारे में बताने जा रहा हूँ. यह विधि पूरी
तरह से व्यवाहरिक है और इस से बहुत ही अच्छे परिणाम आते है. इस ध्यान विधि को मैंने
वेदांत और पतंजलि योग सूत्र के माध्यम से discover किया है फिर इस पर काम किया है और
रिजल्ट्स मिलने के बाद मैं इस खास विधि को आप सबके साथ शेयर करना चाहता हूँ.
इस ध्यान विधि से मैं आपके मन को मंत्रो के माध्यम से टिकाने की कौशिश करूगां.
जितना अधिक आप इस ध्यान का प्रयोग करेंगे उतनी ही आपकी एकाग्रता बढती जाएगी.
मैं आपको एक अक्षर मन्त्र से दुर्गा बतीस नामावली तक ले कर जाऊगा. पहले हम एक
अक्षर मन्त्र पर अपना मन लगायेगे फिर 2 अक्षर फिर 3 और फिर और अधिक..इस तरह से हम
मन्त्र उचारण के साथ साथ यह चेक करेगे कि कितनी बार हमारा मन भटका और किस मन्त्र
पर हमारा मन सही तरह से टिक सकता है.
शुरुआत शंतिमंत्र से करेंगे
ॐ सहनाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः हि ॥
हरि ॐ .....
यह शान्ति मंत्र श्वेताश्वतरोपनिषद से है... जो कृष्ण यजुर्वेद शाखा का उपनिषद
है...
भावार्थ: हे प्रभु ! आप हम दोनों ( गुरु-शिष्य) की रक्षा करें... हम दोनों का
पोषण करें... हम दोनो को शक्ति प्रदान करें... हमारा ज्ञान तेजमयी हो... और हम
किसी से द्वेष न करें...
फिर से एक प्रार्थना के रूप में एक मन्त्र बोलेगे
असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु
से अमरता की ओर ले चलो ॥।
अब हम सबसे पहले ॐ मन्त्र पर ध्यान
केन्द्रित करेगे. इस बीच मन कहा कहा भागता है. इसे चेक करते रहना है.
बार बार मन भागेगा और बार बार पकड़ कर लाना है. हमने दो काम एक साथ करने है एक
तो ॐ को बोलना है और दूसरा अपने ही बोलो हुए ॐ को सुनना भी है. आप बोलते तो रहेगे
पर सुनते वक़्त मन भटक जायेगा बस उसे बार
बार फिर पकड़ कर लाना है और फिर से ॐ, ॐ, ॐ, ॐ पर लगा देना है.
धीरे धीरे आपका मन भागना कम कर देगा. अब हम मन्त्र को और बड़ा करेगें
हरि ॐ – अब हरि ॐ ही चैंट करना है. और हरि ॐ पर ही मन को टिकाना है. हमने फिर
से वही दो काम
एक साथ करने है एक तो हरि ॐ को बोलना है और दूसरा अपने ही बोलो हुए हरि
ॐ को सुनना भी है. अब भी वैसा ही होगा कि आप बोलते तो रहेगे पर सुनते वक़्त मन भटक जायेगा बस उसे बार बार फिर पकड़ कर लाना है और
फिर से हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ पर लगा देना है.
बात वही ख्याल रखनी है कि मन इस मन्त्र में कितना टिक पा रहा है.
अब मन्त्र को और लम्बा करना है और मन को देखना है कि कितना टिक पाता है. अब
मन्त्र होगा
हरि ॐ तत सत्
फिर वही तरीका मन ही मन बोलना और मन ही मन सुनना. मन अब भागना कम हो जायेगा. पर
फिर भी बीच बीच में भागेगा फिर से पकड़ कर लाना है और हरि ॐ तत सत् लगा देना है.
अब द्वादश अक्षर मन्त्र का जप करना है. मन्त्र है -
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय..
तरीका वही है. देखते रहना है कि कब मन
भटक कर भाग गया. कहा से निकल कर भाग गया.
अब मन्त्र को लम्बा करना है. 24 अक्षर वाले गायत्री मन्त्र पर ध्यान करना
है.
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य
धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
भावार्थ:- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण
में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
फिर वही तरीका मन ही मन बोलना और मन ही मन सुनना. मन अब भागना कम हो जायेगा. पर
फिर भी बीच बीच में भागेगा फिर से पकड़ कर लाना है और गायत्री मन्त्र पर लगा देना है.
मन किसी भी अक्षर से भाग सकता है इस बात का ध्यान रखना है.
अब मन्त्र को और भी लम्बा करना है और जितना ज्यादा मन इस मन्त्र पर टिक सके
टिकाना है. अब दुर्गा बतीस नामावली
मां दुर्गा के 32 नाम
ॐ दुर्गा, दुर्गतिशमनी, दुर्गाद्विनिवारिणी, दुर्ग मच्छेदनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गतोद्धारिणी, दुर्गनिहन्त्री, दुर्गमापहा, दुर्गमज्ञानदा, दुर्गदैत्यलोकदवानला, दुर्गमा, दुर्गमालोका, दुर्गमात्मस्वरुपिणी, दुर्गमार्गप्रदा, दुर्गम विद्या, दुर्गमाश्रिता, दुर्गमज्ञान संस्थाना, दुर्गमध्यान भासिनी, दुर्गमोहा, दुर्गमगा, दुर्गमार्थस्वरुपिणी, दुर्गमासुर संहंत्रि, दुर्गमायुध धारिणी, दुर्गमांगी, दुर्गमता, दुर्गम्या, दुर्गमेश्वरी, दुर्गभीमा, दुर्गभामा, दुर्लभा, दुर्गोद्धारिणी.
मन अगर एक बार भी बीच में नहीं भागे तो एक अच्छी achievement होगी.
फिर वही तरीका मन ही मन बोलना और मन ही मन सुनना. मन अब भागना कम हो जायेगा. पर
फिर भी बीच बीच में भागेगा फिर से पकड़ कर लाना है और मन्त्र पर लगा देना है.
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