नाद शब्द का क्या मतलब है शब्दकोश में – नाद का शाब्दिक अर्थ है शब्द ध्वनि – वो
आवाज़ जो शब्द से पैदा हो रही हो. इसका एक मतलब और भी बताया गया है कि अव्यक्त शब्द
की ध्वनि. यानि ध्वनि तो है पर उसे कौन कर रहा है? कहा से आ रही है – पता नहीं है.
इसलिए इसे अनहद नाद भी कहते है.
यह एक ऐसी ध्वनि है जो किसी इंसान के द्वारा पैदा की गयी नहीं है. क्यूंकि कोई
भी आवाज़ उठती है, बढती है और फिर कम होते होते ख़त्म हो जाती है. या फिर कोई भी
आजाज तब तक रहती है जब तक उसे पैदा करने वाला सोर्स उसे produce करता रहे या भेजता
रहे.
पर अनहद नाद के साथ ऐसा नहीं है. एक ध्वनि जो है, और जो चल रही है, सदा से, सदा
ही, अब भी है, तब भी थी. कभी न तो कम हुई और न ही बंद हुई. बाहर की आवाजो से अगर
ध्यान हटा ले तो वो ध्वनि शुरू हो जाती है. शब्द की आवाज़. शब्द से तरंगे और तरंगो
से यह नाद ध्वनि.
बड़ी ही विचित्र बात है कि हर वक़्त नाद बिना किसी के द्वारा पैदा किये बजता ही
रहता है. मेरे अन्दर, आपके अंदर हर वक़्त यह ध्वनि चल रही है, बज रही है और हम कभी
भी इसे सुन सकते है, कभी भी, कोई समय नहीं है इसका. जबकि हमारे अंदर कोई भी तो
नहीं बैठा जो इस ध्वनि को बजा रहा हो. फिर भी बज रही है.
जैसे ही शोरगुल से दूर थोड़ी से शांत स्थान पर पहुचे और दोनों कानो को बंद कर
ले तो आप इस ध्वनि का आनंद ले सकते है. आनदं – जी हा आनंद ले सकते है. आप सोच रहे
होगे कि अंदर आती हुई ध्वनि आनंद कैसे दे सकती है. दे सकती है बिलकुल दे सकती है. यह
आपके अन्दर आती हुई ध्वनि तुरंत शांति देती है आनंद देती है.
मन को चारो ओर से हटा कर अपने अन्दर लगाया जाये और थोड़ी देर के लिए उसे चुप
करवा दिया जाये और इस अंदर आती हुई ध्वनि पर लगा दिया जाये तो उसी वक़्त शांति आ
जाती है. मन शांत हो जाता है. आपको एक बार अपने मन को उस ध्वनि पर लगाना है फिर
धीरे धीरे नाद अपने आप ही आपको खीच लेगा.
नाद तो हर वक़्त चल ही रहा है. वो मेरे पास है हर वक़्त पर मैं ही दूर हूँ उससे.
नाद से, इसी नाद से जो हम सब के अंदर बज रहा है – ईश्वर तक पंहुचा जा सकता है. जैसे
कि कोई मशीन चल रही हो और उसकी आवाज़ हमारे कानो में आ रही हो – तो हम उस आवाज़ को
फॉलो करते करते उस मशीन तक पहुच जाते है. विश्व शक्ति इस विश्व को चला रही है –
विश्व शक्ति वो मशीन है जो इस यूनिवर्स को बना रही है हर पल, हर वक़्त और उस से जो आवाज़
पैदा हो रही है वो नाद है. इसलिए ही नाद
योग की बात आई है – यानि इस आवाज़ को फॉलो करते करते एक दिन उस तक पहुच जायेगे
जिसकी वजह से यह आवाज़ आ रही है.
गुरु नानक ने इस नाद को इक ओंकार कहा, हिन्दू धर्म ने इसे ॐ कहा और अलग अलग
धर्मो ने इसे अलग अलग नाम दिया. नाद चल रहा है और चल्र रहा था. आपको खुद देखना
होगा. खुद समझना होगा. थोड़ी देर किस भी शांत स्थान पर, शोरगुल से अलग थोड़ी देर के
लिए बैठ जाईये अपने कानो की tragus को press करके कानो को बंद कर लीजिये. ध्यान को
अंदर आती हुई आवाजों पर लेकर जाईये.
कई आवाज़े सुनाई देंगी पर आपको अपना ध्यान सबसे तेज़ आती हुई आवाज़ पर लेकर जाना
है और उसे सुनना है बस. जो सबसे पहली आवाज़ आपको सुनाई देगी वो झींगुर जैसे आवाज़
करता है या फिर मधुमक्खी जैसी आवाज़ करती है - वैसी आवाज़ होगी. जैसे जैसे आप अपने
मन को इस आवाज़ पर बनाये रखेगे तो आप हैरान होंगे कि यह ध्वनि धीरे धीरे बांसुरी की
आवाज़ में बदलनी शुरू हो जाएगी. आपको अपने आप ही बिना बांसुरी सुने बांसुरी कि आवाज़
सुनाई देगी. हर पल हर वक़्त. और मज़े की बात कि न तो यह बांसुरी कि आवाज़ कभी कम होगी
न ही इसकी फ्रीक्वेंसी में कोई कमी आएगी. हर वक़्त एक सार.
फिर बांसुरी की आवाज़ पर ध्यान लगाना होगा यह ध्वनि भी बदलनी शुरू हो जाएगी यह
आवाज़ वीणा की आवाज़ में बदल जाएगी. फिर इस पर ध्यान लगाना होगा. इस ध्वनि को साधना
होगा. मन को जोड़ना होगा इस आवाज़ पर. हमारी यात्रा ॐ कि पवित्र ध्वनि तक पहुचने की
है. इस बीच आपका व्यक्तित्व भी बदलना शुरू हो जायेगा और आपके चारो ओर का संसार भी.
फिर ढोल जैसी ध्वनि, फिर शंख जैसी ध्वनि, फिर मंदिर की घंटियाँ, फिर समुद्र की
लहरें, फिर ॐ. ॐ तक पहुचते पहुचते सब कुछ बदल जायेगा, सब कुछ. मंदिर में, चर्च में
घंटियाँ इसीलिए है. आपको बताने के लिए कि यह आवाज़ आपके अन्दर है.
मन को टिकाना होगा हर आवाज़ पर, गहरे उतरना होगा हर आवाज़ में तभी अगले पड़ाव पर
पहुच पायेगे. बहुत सारी शक्तियां भी विकसित होगी आपके अंदर इस बीच. पर कही भी
उलझना नहीं है. आगे बढ़ते रहना है. इस साधना में मन सारा दिन शांत रहता है. और शांत
मन जीवन के हर आयाम के लिए उत्तम होता है.
इस साधना में आगे मन नाद के प्रति सजग हो जाता है और जब भी आप शांत स्थान में
जायेगे तो नाद सुनाई देने लगेगा. जब ऐसा होने लगे तो समझ लेना कि आपका मन आपकी
साधना में साथ देने लगा है. केवल इतना करने से जीवन आसान लगने लगेगा.
मन में अच्छे विचार उठेगे. किसी भी ऐसी जगह पर जाओ जहाँ कोई साधना करता हो तो
भी आपका नाद बजने लगेगा. जहाँ बहुत ज्यादा ध्यान होता होगा जैसे कि काफी आश्रमों
में होता है वहा जाते ही नाद अपने आप ही बजने लगेगा और बजता ही रहेगा. इस तरह से
यह भी पता चल जाता है कि जहा आप गए है वह ध्यान होता भी है या नहीं.
इस तरह से यदि कोई अच्छा ध्यान करने वाला साधक आपके सामने आएगा तो भी नाद बजने
लगेगा. आपके पास से गुजर जायेगा तो भी नाद बजने लगेगा. ऐसा होता है सच में होता
है. जैसे जैसे नाद साधना में आगे बढोगे तो हर जगह यह नाद ईश्वर के होने का आभास
देगा. एक अच्छे साथी के रूप में नाद हमेशा आपके साथ रहेगा.
जिस शक्ति से ईश्वर इस दुनिया को बनाये हुए है नो नाद ही है. उसे माँ के विभिन्न
रूप भी समझ सकते है, माँ दुर्गा, माँ काली, जगत जननी, माँ मरियम, माँ गंगा, गायत्री माता, प्रकृति
माँ, परा शक्ति. कोई भी रूप किसी भी धर्म के अनुसार. जब भी सृजन शक्ति कि बात होगी
तो समझ लेना कि इसी शक्ति कि बात ही हो रही है.
जब नाद के मातृत्व रूप तक पहुच जाओगे तो जगत जननी माँ से कुछ भी मांग लेना वो
मिलेगा. जब नाद से रूबरू होगे तो आपकी प्रार्थनाएं भी काम करने लगेगी. जब नाद से
गहन नाता हो रहा होगा तो नाद से ही प्रार्थना करना, पूरी होने लग जाएगी. हमेशा
दुसरो में लिए प्रार्थनाएं करते रहना आपको साधना में आगे लेकर जायेगा.
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