जब मैं छोटा बच्चा था तो मुझे डर के बारे में कुछ ज्यादा नहीं मालूम था. मेरे
पेरेंट्स को बताना पड़ता था कि यह डरने की बात है. पर आमतौर पर उन्हें एक बार ही
बताना पड़ता था कि यह डर है या इस वस्तु से या फिर इस बात से डरना चाहिए. बस फिर वो
डर हमेशा के लिए बना रहता था. हा कुछ डर तो उम्र बढ़ने के साथ साथ ख़त्म ही हो गए थे
पर कुछ मेंटल पैटर्न बन कर हमेशा के लिए डर बन गए थे.
कुछ डर थे जैसे कि अँधेरे में नहीं जाना कोई भुत खा जायेगा. इस तरह के डर कई
बार उम्र भर बना रहता है. मन में दर्ज हो गया था कि अँधेरा मतलब भूत तो होगा ही. ऐसे
ही बहुत से डर हमारे जेहन के कई जन्मो से भी दर्ज होगे. हर व्यक्ति के अलग फोबिया
है. किसी को उचाई से डर लगता है तो किसी को बंद कमरे में तो किसी को तंग जगह से और
किसी को वीराने से तो किसी को अकेलेपन से.
मैं उन डरो की बात कर रहा हूँ जो बहुत सारे लोगो के जेहन में है. बाकि कुछ डर
तो वास्तविक भी होते ई और उनसे डरना भी चाहिए. जैसे करंट से डरना चाहिए, आग से
डरना चाहिए, ऐसी कोई भी वस्तु जो जीवन के लिए खतरा हो उससे जरुर डरना चाहिए और
बचना चाहिए.
अब यह जो डर है यह है क्यां और यह दूर कैसे होंगे. देखिये डर वो मेंटल पैटर्न
है हमें हमने ही अपने अन्दर सजा रखा है, जिसे हमने ही अपने मन को बताया है कि किस स्थिति में ऐसा रिस्पांस करना है. डर भी मन है,
डरना भी मन है और जो डरा रहा वो भी मन है.
अब यह मेंटल पैटर्न या संस्कार इतने सारे है कि उन्हें हटाने के लिए हमें मन
का ही प्रयोग करना पड़ेगा. यह सभी के सभी मेंटल पैटर्न हमारे अवचेतन मन में चले गए
है. अब अगर हमें इन मेंटल पैटर्न्स को हटाना है तो हमें अपने अवचेतन मन तक जाना
होगा. देखिये बात बताने से कि - नहीं डरना नहीं चाहिए, डरो मत, साहसी बनो, डर कुछ
भी नहीं होता मन का वहम होता है बला बला बला..इन सब बातो से न तो कभी डर गया है और
न ही जायेगा.
अब अवचेतन मन तक कैसे जाये यह बात है. हमारे पास हमारे अवचेतन मन तक पहुचने का
सबसे आसन तरीका है योग. और योग में अवचेतन मन तक पहुचने का सबसे आसन तरीका है योग
निद्रा. और भी तरीके है, हम प्राणायाम से भी अवचेतन मन तक पहुच सकते है, मन्त्र जप
से भी पहुच सकते है. पर योग निद्रा सबसे आसन है.
एक बड़ी खास बात है इसमें कि अगर हमने अवचेतन मन में किसी भी मेंटल पैटर्न को
देख लिया तो वो समाप्त हो जाता है. इसके पीछे क्या साइंस है वो एक अलग matter है.
लेकिन यह बात एकदम सच है.
योग निद्रा में हमें एक संकल्प करना होता है और वो संकल्प हमारे अवचेतन मन तक
पहुचता है और जीवन में चितार्थ होता है. लेकिन अगर हम नियमित रूप से यदि ध्यान करे
तब भी अपने डर से हमेशा के लिए निजात पा सकते है. ध्यान बहुत ज्यादा सहायक है डर
को मूल रूप से समाप्त करने के लिए.
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